लता मंगेशकर: भारत की नाइटेंगल
भारत कोकिला और आवाज़ की जादूगर ‘लता दी’ के संगीत सफ़र पर एक नज़र:
सब लोग प्यार से लाता मंगेशकर को लता दी या दीदी कहकर बुलाते हैं।
साल 1929 : इन्दौर में जन्म हुआ।
साल 1934 : अपने पिता के संगीत नाटक में अभिनय शुयू किया।
साल 1942 : में अपना पहला गाना “नाचू या गड़े, खेलूँ सारी मानी” गाया, लेकिन ये रिलीज़ नहीं हो सका।
साल 1947 : में रिलीज़ हुई फ़िल्म ‘आप की सेवा’ में अपना पहला हिन्दी गाना गाया।
साल 1999 : पद्म विभूषण से सम्मानित हुयीं।
साल 2001 : में भारत रत्न दिया गया।
साल 2007 : में ‘लीजिन ऑफ हॉनर’ से सम्मानित हुयीं।
दूसरे देश मे रहने वाले मेरे मित्र मुझसे कहते हैं कि- ‘भारत मे तुम्हारे पास जो कुछ भी है वो सब हमारे पास भी है, लेकिन सिर्फ़ दो चीजें छोड़कर- ताज़महल और लता मंगेशकर” वाक़ई में वो करोड़ों लोगों की आवाज हैं। – अमिताभ बच्चन
इस बात में कोई शक नहीं है कि भारत के संगीत जगत के इतिहास में एक से बढ़कर एक गायिकाएं हुई हैं, लेकिन लता मंगेशकर ने अपने सुर से करोड़ों संगीत प्रेमियों के दिल जो स्थान बनाया है, वो शायद ही कोई बना सके। उनकी आवाज़ में वो जादू है जो किसी के कान में अगर एक बार पड़ जाए तो वो व्यक्ति इसका दीवाना हो जाता है।
लता मंगेशकर को यूँ ही ‘भारत की नाइटेंगल’ (Nightingale Of India) नहीं कहा जाता है, उन्होंने अपने सुर से जो मुक़ाम हासिल किए हैं, उसके लिए शायद ये उपाधि भी छोटी पड़ जाए। उनकी आवाज़ में इतनी मधुरता है कि कई बार तो फिल्में फ्लॉप होने के बाद भी लता मंगेशकर द्वारा गाये गए गाने के लिए लोग उस फ़्लॉप फ़िल्म को भी याद रखते हैं।
आज हम इस स्वर की देवी और दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गायकों में से एक मानी जाने वाली लता मंगेशकर के जीवन के सफ़र को Lata Mangeshkar Biography में क़रीब से जानेंगे।
व्यक्तिगत जीवन : (Lata Mangeshkar’s Personal Life)
लता मंगेशकर का जन्म 28 सितम्बर 1929 को मध्यप्रदेश के इन्दौर शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम दीनानाथ मंगेशकर और माता का नाम शेवन्ती था। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर, शास्त्रीय गायक होने के साथ ही वो रंगमंच के मशहूर अभिनेता भी थे। वो मराठी थियेटर में अभिनय किया करता था। लता मंगेशकर ने अपना पहला सांगीतिक प्रशिक्षण अपने पिता द्वारा मात्र 5 वर्ष की आयु में ही लेना शुरू किया ।
साथ ही उन्होंने अपने पिता के सांगीतिक कार्यक्रम में अभिनय भी करना शुरू कर दिया था। तब से शुरू हुआ उनका संगीत सफ़र आज तक ज़ारी है।
लता मंगेशकर अपने माता-पिता की सबसे बड़ी सन्तान हैं। उनके अन्य छोटे भाई बहन का नाम हृदयनाथ, आशा, उषा और मीना है। लता की ही तरह ये सभी भी काफ़ी प्रतिभाशाली है और सभी ने मराठी और हिन्दी संगीत की दुनिया मे अपनी ख़ास पहचान बनायी है।
लता मंगेशकर का सांगीतिक जीवन : (Musical Life Of Lata Mangeshkar)
लता जब मात्र 13 वर्ष की थी तभी उनके पिता की दिल का दौरा पड़ने की वज़ह से मौत हो गयी। पिता के रूप में लता ने अपने शिक्षक को भी खो दिया था। इसके बाद उनके पिता के बेहद क़रीबी मित्र रहे, ‘विनायक दामोदर कर्नाटकी’ ने लता की गायन और अभिनय के क्षेत्र में करियर बनाने में काफ़ी मदद की।
First Song Of Lata Mangeshkar
उन्होंने पहली बार जब मराठी फ़िल्म ‘किती हसाल’ के लिए गाना गाया था तब आख़िरी समय मे इसे फ़िल्म से बाहर कर दिया गया। उस समय लता को काफ़ी दुख भी हुआ था। लेकिन आप सिर्फ प्रतिभा के प्लेटफॉर्म को छीन सकते हैं, हुनर को कभी ख़त्म नहीं कर सकते। कुछ इसी सिद्धांत पर अमल करती हुई लता आगे बढ़ी और फ़िर जल्द ही उनके हुनर को पहचान मिलनी शुरू हो गयी। उनका पहला हिन्दी गाना था ‘ माता एक सपूत की दुनिया बदल दे तू’ जो कि मराठी फिल्म ‘गजाभाऊ’ के लिए रिकॉर्ड किया गया था।
इसके बाद लता मुम्बई चली गयी और वहाँ उस्ताद अमन अली खान से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण लेने लग गयी। साल 1947 लता मंगेशकर के जीवन की दिशा बदलने वाला साबित हुआ। उस साल विभाजन की वज़ह से बहुत से गायक भारत छोड़कर चले गए ऐसे में लता मंगेशकर को गायन के क्षेत्र में काफ़ी मौके मिलने शुरू हो गए।
इसी समय जब उन्होंने साल 1947 में आयी फ़िल्म ‘आप की सेवा में’ और 1949 में आयी फिल्म ‘आयेगा आनेवाला’ के लिए गाना गाया तो पूरे देश ने लता जी की आवाज़ को पहचाना और उनकी प्रतिभा को सलाम किया। साल 1948 में उनके प्रशिक्षक विनायक जी की मृत्यु के बाद उन्होंने ग़ुलाम हैदर से संगीत का प्रशिक्षण लेना शुरू किया।
लता जी ने अपने 3 दशक के फिल्मी करियर में भारतीय संगीत जगत के लगभग सभी बड़े संगीतकार और गीतकार के साथ काम किया है। आर डी बर्मन, सलिल चौधरी, एस डी बर्मन, नौशाद, मदन मोहन जैसे सभी बड़े संगीतकार के साथमिलकर लता ने भारतीय संगीत को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने में मदद की है। लता मंगेशकर ने काम किया है।
लता मंगेशकर ने साल 1955 में पहली बार मराठी फ़िल्म ‘राम राम पवहाने’ के लिए संगीत भी दिया था।
लता मंगेशकर के कुछ लोकप्रिय नगमे (Most Popular Songs Of Lata Mangeshkar)
आज इस Lata Mangeshkar Biography में लता जी के कुछ नगमों को हम आपकी याददाश्त में फिर से ताजा करना चाहते हैं। उन्होंने अपनी आवाज़ से बहुत से हिन्दी गानों को सदा के लिए अमर कर दिया है। ‘लग जा गले”, “तू जहाँ जहाँ चलेगा”, “आएगा आनेवाला”, “प्यार किया तो डरना क्या”, “अल्लाह तेरो नाम”, “ए मेरे वतन के लोगो” जैसे बहुत से ऐसे गीत है जिन्हें लता जी ने अपनी आवाज़ देकर लोगो के दिलों तक पहुँचाने का काम किया है।
सम्मान और पुरस्कार : (Honor and Awards)
लता मंगेशकर ने अपने करियर में ‘भारत रत्न’, ‘पद्मभूषण’, ‘पद्मविभूषण’ समेत अनगिनत पुरस्कार और सम्मान हासिल किए हैं। उन्हें साल 1999 में पद्मविभूषण, साल 1989 ने दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, 1997 में महाराष्ट्र भूषण अवॉर्ड, 1999 में NTR राष्ट्रीय पुरस्कार, साल 2001 में भारत रत्न, 2009 में ANR राष्ट्रीय पुरस्कार, 3 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, 12 बंगाली फ़िल्म जर्नलिस्ट अवॉर्ड तथा साल 2007 में फ़्रांस द्वारा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भी दिया जा चुका है। साथ ही उन्होंने बेस्ट फ़ीमेल प्लेबैक सिंगर के लिए 4 बार फिल्मफेयर अवॉर्ड ( Filmfare Award) भी जीता है।
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लता जी संगीत के क्षेत्र में नई प्रतिभाओं को भी आगे बढ़ाने के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहती हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण उन्होंने साल 1969 में दिया। जब उन्होंने फिल्मफेयर अवॉर्ड को लेने से मना करते हुए इसे गायन के क्षेत्र में नई प्रतिभा को उभारने के लिए देने को कहा। बाद में साल 1993 में उन्हें फिल्मफेयर द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
लता मंगेशकर का वर्तमान जीवन : (Current Life Of Lata Mangeshkar)
इस समय लता मंगेशकर ‘मास्टर दीनानाथ हॉस्पिटल’ की देखरेख में व्यस्त रहती हैं। ये हॉस्पिटल उनके पिता की याद में बनवाया गया था। वो क्रिकेट देखना भी काफ़ी पसन्द करती हैं। भारतीय संगीत के इतिहास में आज तक लता मंगेशकर जैसी गायिका ना तो हुयी है और ना ही आगे कोई उनकी भरपाई कर सकेगा। वो हमेशा ‘भारत की नाइटेंगल’ (Nightingale Of India) के रूप में याद की जायेंगी। उनके गाये हुए गीत युगों युगों तक संगीत प्रेमियों के दिल मे धड़कन बनकर गूँजते रहेंगे।