GMT Full Form – जीएमटी क्यों ज़रूरी है?

दोस्तों आप सभी ने अक्सर देखा होगा कि किसी स्थान का Time बताते समय GMT शब्द का Use किया जाता है। GMT का Use आपने वहाँ पर देखा होगा जब किसी देश का Time बताया जाता है। लेकिन हममें से बहुत कम लोग ही GMT का फुलफॉर्म जानते हैं।

इसीलिए आज हम आपको ना सिर्फ़ GMT full form बताएंगे बल्कि इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी भी आपको देंगे।

आइये सबसे पहले जानते हैं कि GMT का फुलफॉर्म क्या होता है?

GMT full form in Hindi

GMT का फुलफॉर्म – Greenwich Mean Time

GMT meaning in Hindi

(ग्रीनविच मीन टाइम)

दरअसल ग्रीनविच इंग्लैड के लंदन शहर में स्थित एक स्थान का नाम है। जहाँ से दुनियाभर के समय का निर्धारण किया जाता है। दुनियाभर के देशों का समय इसी GMT से आगे या पीछे रहता है।

हम सभी ये तो जानते ही हैं कि दुनिया मे समय का निर्धारण सूर्य के प्रकाश का धरती पर पड़ने की स्थिति के अनुसार ही किया गया है। अतः ग्रीनविच रेखा के समय का समय सूर्य की स्थिति के अनुसार निर्धारित कर लिया गया। अब पूरी दुनिया के Time का निर्धारण इसी ग्रीनविच रेखा के Time के अनुसार ही निर्धारित किया गया है।

कैसे निर्धारित किया गया World का Time –

दरअसल पृथ्वी के सभी देशों के समय निर्धारण के लिए पूरी पृथ्वी को Longitude रेखाओ में Divide किया गया है। अब इन अलग- अलग रेखाओं पर 16 मिनट के समय का अन्तर होता है। इस तरह से प्रत्येक दो देशांतर रेखाओं के बीच 16 मिनट का अन्तर होता है।

इसी कारण प्रत्येक देश के समय में अन्तर देखने को मिलता है। अब जो देश एक दूसरे से जितनी दूरी पर होता है उन दोनों के समय में उतना ही अधिक अन्तर होता है। इस तरह से Time का निर्धारण करने के लिए एक ऐसे Standard Time की जरूरत पड़ी जहाँ से दुनिया भर के Time को एक System से समझा जा सके।

इसीलिए लंदन में जहाँ से ग्रीनविच रेखा गुज़रती है वहाँ के देशांतर को ‘0’ शून्य माना गया। इसी शून्य देशांतर रेखा के Time को दुनिया का मानक समय माना गया। यहाँ के समय को ही जीएमटी (GMT) यानी कि Greenwich Mean Time कहा जाता है।

अब किसी भी देश के समय को इसी Greenwich के Time के अनुसार प्रदर्शित किया जाता है। इसी Greenwich यानी कि शून्य देशांतर से ही देशांतर रेखाओ को Count किया जाता है और प्रत्येक दो देशांतर रेखा के बीच में 16 मिनट का अन्तर होता है।

दुनिया के सभी Time Zone इसी GMT के आधार पर होते हैं। सभी Time Zone को GMT से आगे या GMT से पीछे दर्शाया जाता है। जो देशांतर रेखा ग्रीनविच देशांतर से पीछे यानी कि पश्चिम में स्थित है तो वहाँ का समय ग्रीनविच से ज्यादा होता है। उसे GMT- यानी कि GMT से पीछे का समय कहा जाता है। वही जो देशान्तर GMT से आगे यानी कि पूर्व दिशा में होगा तो वहाँ का समय GMT से आगे का होगा और इसे GMT+ कहा जाता है।

चीन तथा भारत आदि की देशान्तर रेखा ग्रीनविच की देशान्तर रेखा से पूर्व में है। अतः यहाँ का समय ग्रीनविच तथा लन्दन से आगे रहता है। वहीं अमेरिका का देशान्तर ग्रीनविच के देशान्तर से पश्चिम दिशा में है जिस वज़ह से वहाँ का समय ग्रीनविच से पीछे चलता है।

इसे इस तरह से भी समझा जा सकता है कि किसी भी दिन का जो 12 बजे का समय होता है वो पहले जापान, भारत तथा चीन जैसे देशों में पहले होता है। क्योंकि ये सभी देश ग्रीनविच के पूर्व में स्थित है और इनका समय इससे आगे चलता है। वहीं ये 12 बजे का समय सबसे आख़िरी में अमेरिका में होगा क्योंकि ये ग्रीनविच से पश्चिम में स्थित है और यहाँ का समय ग्रीनविच से पीछे चलता है।

दोस्तों हमने GMT का फुलफॉर्म तथा इसके काम करने के तरीके को भी समझ लिया। अब आइये इसी क्रम में ये आपको GMT के इतिहास के बारे में भी थोड़ा जान लेते हैं।

GMT की History

सन 1884 के पहले दुनिया के सभी देशों में अलग-अलग Time हुआ करता था। सभी देशों ने अपने यहाँ अलग-अलग नियम के अनुसार समय निर्धारित कर रखा था। इससे एक देश के लोगो को दूसरे देश का Time समझने में काफ़ी दिक़्क़त का सामना करना पड़ता था।

इस वज़ह से दुनिया मे एक ऐसे Standard Time की आवश्यकता महसूस हुई जहाँ के अनुसार सभी देश के Time का निर्धारण किया जा सके। जिससे सम्पूर्ण विश्व के Time को समझने में आसानी हो।

अतः 1884 में International Meridian Conference किया गया। इसी Conference में लन्दन के ग्रीनविच देशान्तर को शून्य देशान्तर मान के यहाँ के समय को Standard Time माना गया और इसे GMT का नाम दिया गया। इसके बाद सम्पूर्ण विश्व का समय भी यही के अनुसार निर्धारित किया गया।